औषधीय गुणों का खजाना है नीबू
प्रेमपाल शर्मा
नीबू ऐसा फल है जो सर्दी हो या गर्मी, हर घर की रसोई में हमेशा उपलब्ध होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये गुणों की खान है। इसका कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। आज हम आपको इसके कुछ खास लाभों के बारे में बताएंगे।
परिचय
नीबू विषुवत् रेखीय जलवायु का पौधा है यानी गरम जलवायु में ये ज्यादा पनपता है। संस्कृत में निंबू और हिंदी में नीबू के नाम से प्रसिद्ध इन पौधों की यह विशेषता प्रकृति प्रदत्त है कि इनकी पत्तियां छोटी, गोल नोंकदार, तैलीय परत से आवृत्त होती हैं। शाखाएं नुकीले कांटों से युक्त तथा जड़ें लंबी होती हैं। भीषण गर्मी से बचने के लिए प्रकृत्ति ने इन वृक्षों की विशेष व्यवस्था की है। फल रसीले, जो मजबूत, चिकने कवच रूपी छिलके से रक्षित, फल के अंदर रस भी छोटे-छोटे अनेक प्रकोष्ठों में बंद रहता है। पत्ते छोटे और पौधा कांटेदार होने के कारण वातावरण में पानी का वाष्पीकरण अपेक्षाकृत कम होता है; इसकी लंबी जड़ें गहराई से पानी खींच लेती हैं और प्रचंड गर्मी में भी पौधे को हरा-भरा बनाए रखती हैं।
नीबू जाति के पौधे, जैसे माल्टा, मौसमी, संतरा आदि गरम जलवायु में अच्छी तरह फलते फूलते हैं। वनस्पतिशास्त्री इसके प्राकृतिक अवस्था में प्राप्त होने का मूल स्थान म्यांमार या अन्य किसी पूर्वी देश को मानते हैं। भारत के मानसूनी तथा गरम क्षेत्रों में यह सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है। बाग-बगीचों, नर्सरी तथा घरों के आंगन व गमलों में भी खूब फल-फूल रहा है।
गुणधर्म
आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में नीबू को पथ्य, पाचक, रोचक, खट्टा, अग्निवर्धक, रंग निखारने वाला, पित्तनाशक, तथा तृप्ति कारक बताया गया है। इसमें तृषा को शांत करने का अपार गुण है। यह कृमियों को नष्ट करने की अच्छी क्षमता रखता है तथा विटामिन ‘सी’ का यह भंडार है।
उपयोग
नीबू की दो किस्मों में कागजी नीबू की उपयोगिता सर्वाधिक है। यह अधिक रसदार होता है। इससे खट्टा-मीठा अचार, शिकंजी, शरबत आदि बनाते हैं। नीबू का रस शाक-सब्जियों, दालों, सलाद, सांभर आदि को स्वादु बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके ताजा छिलकों से एक तेल निकाला जाता है। गरमियों में नीबू की खपत बढ़ जाती है। आयुर्वेदिक दवा तथा यूनानी चिकित्सा में नीबू बहुत उपयोगी घटक है।
औषधीय उपयोग
आयुर्वेद तथा घरेलू चिकित्सा में नीबू का अनेक रोगों में सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता है। यह पौष्टिक गुणों से संपन्न है।
दांत दर्द
तीन-चार लौंग बारीक पीसकर उस चूर्ण में नीबू का रस मिलाकर दांतों की मालिश करें तथा लार नीचे गिरने दें। इससे दांतदर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
पेटदर्द
नमक या काला नमक, अजवायन, जीरा तथा चीनी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर उसमें नीबू का रस मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। खाने के कुछ देर बाद पेटदर्द से आराम मिल जाएगा।
वमन या उल्टी
आधा नीबू का रस, 1 ग्राम जीरा, 1 ग्राम इलाइची दाना- सबको पीसकर आधा कप पानी में घोलकर दो-दो घंटे के अंतराल पर पिलाएं या पिएं तो उल्टियां तुरंत शांत हो जाती हैं।
लू तथा गरमी की तपिश
लू की चपेट में आ गए हों, बार-बार प्यास लगे और प्यास शांत न हो तो नीबू की शिकंजी खांड़ या मिश्री में बनाकर जब प्यास लगे तभी पिएं। इससे शरीर पर लू का प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा प्यास भी शांत हो जाएगी। शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी।
मलेरिया ज्वर
एक बड़ा और ताजा नीबू एक लीटर पानी में डालकर तीन-चौथाई रहने तक पकाएं। फिर इस पानी में पिसी काली मिर्च डालकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे मलेरिया ज्वर का प्रकोप शांत हो जाएगा।
जिगर संबंधी रोग
जिगर की गड़बड़ी से सिर में चक्कर आएं, आंखों के आगे अंधेरा छाए तो आधा गिलास गर्म पानी में एक नीबू निचोड़कर पीने से तुरंत आराम मिलता है। आमवात में रोगी को सुबह-शाम नीबू चूसना चाहिए।
दस्त-पेचिश
बार-बार दस्त लग रहे हों तो एक गिलास पानी में नमक, चीनी तथा एक नीबू निचोड़कर दिन में तीन-चार बार पिएं। इससे आराम मिलेगा।
गैस-अपच
पेट में गैस बनने से सिर चकराता हो, दौरा पड़ जाता हो तो एक गिलास गर्म पानी में नीबू का रस निचोड़कर नित्य सुबह-शाम सेवन किया करें। इसमें काला नमक भी मिला देंगे तो जल्द आराम मिलेगा।
मुंह का स्वाद तथा हाजमा
बुखार के बाद मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। एक ताजा नीबू लेकर आधा काटकर उसमें काला नमक तथा काली मिर्च पाउडर भर दें। इस आधे नीबू को आग पर रखकर खदकाएं। फिर ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसें। मुंह का स्वाद ठीक हो जाएगा तथा हाजमा भी दुरुस्त हो जाएगा।
तिल्ली बढ़ने पर
तिल्ली बढ़ रही हो तो एक ताजा नीबू में लाहौरी नमक भरकर इसे भोजन के बाद चूसा करें। यह क्रिया चार-पांच दिन करें। अवश्य लाभ होगा।
दिल घबराना
गरमी में दिल घबराए और साथ ही सीने में जलन हो रही हो तो एक गिलास पानी में नमक, चीनी तथा एक रसीले नीबू का रस निचोड़कर अचछी तरह मिलाकर पिएं, तुरंत आराम मिलेगा।
खांसी-खराश
खांसी या गले में खिच-खिच होने पर नीबू की चाय सेवन करें। हो सके तो अदरक भी डालें। जल्दी आराम मिलेगा।
दांतों की चमक
नीबू विटामिन सी का भंडार है। दांत साफ करने के लिए नीबू का रस निकालने के बाद बचे खोल से धीरे-धीरे दांतों की मालिश किया करें। इससे दांत चमक जाते हैा।
सौंदर्य वृद्धि
सुंदरता बढ़ाने का लोशन बनाने के लिए नीबू का कपड़े मं छाना हुआ 25 ग्राम रस, 25 ग्राम गुलाब जल, 25 ग्राम ग्लिसरीन, सबको मिलाकर ढक्कन बंद शीशी या जार में रख लें। रात को चेहरे पर मिलकर सो जाएं। सुबह चेहरा अच्छी तरह साफ कर लें। इससे कील-मुंहासे व झांइयां दूर हो जाएंगी, रंग निखर जाएगा और चेहर की त्वचा कोमल एवं मुलायम हो जाएगी।
प्रसव पीड़ा
गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के चार महीने के बाद से प्रसव काल तक रोक एक नीबू का शरबत बनाकर पिएं तो प्रसव काल में पीड़ा नहीं होगी।
रूसी और बालों की मजबूती
नीबू के रस में बेसन मिलकर लेप बनाएं। इस लेप को सिर में मल-मलकर लगाएं और पिफर कुछ समय बाद बालों को धो डालें। इससे सिर की रूसी समाप्त हो जाएगी। सप्ताह में दो बार जरूर लगाएं।
सिरदर्द
नीबू की चाय पीने से सिरदर्द में आराम मिलता है। नीबू के पत्तों को कुचलकर रस निकालकर सूंघें तो सिरदर्द गायब हो जाता है।
नकसीर फूटना
नीबू के रस की दो-दो बूंदें प्रत्येक दो घंटे बाद नाक में डालें तो नकसीर का बार-बार आना बंद हो जाता है।
दाद-खाज
दाद कैसा भी हो। नौसादर को नीबू के रस में मिलाकर दाद पर लगाएं। कुछ दिनों के प्रयोग से दाद समाप्त हो जाएगा।
कील-मुंहासे
कील मुंहासे दूर करने तथा त्वचा पर निखार के लिए एक चम्मच मलाई में आधा नीबू का रस मिलाकर चेहरे पर धीरे-धीरे मालिश करें। नियमित प्रयोग से कुछ ही दिनों में दाग-धब्बे मिट जाएंगे तथा त्वचार का रंग भी निखर जाएगा।
(प्रेमपाल शर्मा की किताब ‘शुद्ध अन्न स्वस्थ तन’ से साभार। ये किताब प्रभात प्रकाशन से ऑनलाइन मंगाई जा सकती है।)
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